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वयस्कों में रेक्टल प्रोलैप्स

वयस्कों में रेक्टल प्रोलैप्स के श्रेष्ठ डॉक्टर

जब कुछ या सभी गुदा में होने वाली ऊतक या टिश्यू (पतली परत), गुदा से बाहर निकल आती हैं, तब उसे रेक्टल प्रोलैप्स कहते हैं। वयस्कों में अक्सर यह एक दुर्लभ स्थिति होती है। (मलाशय बड़ी आंत का निचला हिस्सा होता है।) वृद्ध महिलाओं में रेक्टल प्रोलैप्स सबसे आम है, लेकिन सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं में हो सकता है।

  • जिन महिलाओं को एक से अधिक बच्चे (सामान्य तरीक़े से मतलब की) योनि जन्म पद्धति से हुए हैं, उनमें रेक्टल प्रोलैप्स होने की संभावना अधिक होती है। रेक्टल प्रोलैप्स को और अधिक संभावित बनाने वाली अन्य स्वास्थ्य की स्थितियां  इस प्रकार हैं:

    • दीर्घकालिक आंत्र समस्याएं जैसे:
    • कब्ज – यदी आपका मल त्याग बहुत कठिन या कम मात्रा में होता है, तथा उसे बाहर निकलना मुश्किल है, और प्रति सप्ताह 3 बार से भी कम समय मल त्याग होता है, तो आपको क़ब्ज़ है
    •  मल त्याग के दौरान तनाव होना
    • अतिसार यनी के डायरिया (Diarrhoea) – इसका मतलब है कि आपका मल त्याग पानी से भरा हुआ या अधिक बह रहा है, और दिन में 3 बार से अधिक होता है।
    • पैल्विक (pelvic) यानी के श्रोणि क्षेत्र में समस्याएं, जिनमें कमजोर मांसपेशियां या पैल्विक सर्जरी का इतिहास रहा हो।

मुख्य लक्षण होते हैं — उज्ज्वल लाल रंग के ऊतक जो गुदा से बाहर निकला हुआ होते हैं। ऊतक में बलगम या रक्त भी हो सकता है। आमतौर पर, रेक्टल प्रोलैप्स दर्दनाक नहीं होता है, किंतु बहुत असुविधाजनक हो सकता है। यह ऊतक गुदा के बाहर रह सकता है या शरीर के अंदर वापस भी जा सकता है।

अन्य लक्षणों इस प्राकार हो सकते हैं:

  • मल त्याग शुरू करने में परेशानी
  • ऐसा महसूस हो रहा हो कि आपने अपनी आंत को (संतोषजनक रूप से) पूरी तरह से खाली नहीं किया है
  • ठोस या तरल मल त्याग की रिसाव करना (जिसे “मल असंयम” कहा जाता है)
  • एक परीक्षण या टेस्ट (Test) करके, आपके डॉक्टर आसानी से बता सकते हैं, कि क्या आपको रेक्टल प्रोलैप्स की समस्या है। यदि ऊतक आपके शरीर के अंदर वापस चला गया है, तो आपके डॉक्टर आपको फिर से शौचालय पर बैठने को कह सकते हैं। इससे यह जांचने के लिए कि ऊतक फिर से आपके शरीर से बाहर आता है या नहीं।

    अन्यथा, आपको अन्य परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपको कोई अलग समस्या है, तो निम्न परीक्षण भी करवा सकते हैं। उनमे शामिल है:

    • एमआरआई (MRI) – यह परीक्षण शरीर के अंदर की तस्वीरें बनाता है।
    • सिस्टोकोलपोप्रोक्टोग्राफी (Cystocolpoproctography)- इस परीक्षण में, डॉक्टर आपके मूत्राशय, योनि, और मलाशय को “कंट्रास्ट मटीरियल” (contrast material) नामक पदार्थ से भर देंगे, जो एक्स-रे पर दिखाई देता है। उसके बाद, एक्स-रे से पता चलता है कि आपके शरीर के ये अंग कैसे काम कर रहे हैं।
    • डेफेकोग्राफी (Defecography)- यह परीक्षण मलाशय में “कंट्रास्ट मटीरियल” (contrast material) का उपयोग करता है, और जब आप मल त्याग करते हैं तो इस “कंट्रास्ट मटीरियल” के एक्स-रे लेते हैं।
    • मैनोमेट्री (Manometry) – यह परीक्षण मलाशय के अंदर के दबाव को मापता है। यह दिखा सकता है कि मल त्याग को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं।

उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपके लक्षण कितने गंभीर हैं, और यदि आपको अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं। आप जो भी उपचार कर रहें हों, आपके डॉक्टर बताएँगे कि:

  • ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिनमें बहुत अधिक फाइबर हो। अच्छे विकल्प फल, सब्जियां, प्रून जूस, और सिरिय्ल्स हैं। आपको प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम फाइबर खाना चाहिए।
  • प्रतिदिन 4 से 8 कप पानी या अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें।

अन्य उपचार में शामिल हैं:

  • जुलाब की दवाइयाँ – ये ऐसी दवाएं हैं जो मल त्याग को आसान बनाने में मदद करती हैं। कुछ गोलियां हैं जिन्हें आप निगलते हैं। अन्य गोलियां, मलाशय में डाली जाती हैं, जिन्हें “सपोसिटरी” (suppositories) कहते हैं।
  • एनिमाज़ (enemas) – इस उपचार में, डॉक्टर आपके मल को खाली करने में मदद करने के लिए आपके मलाशय में विशेष तरल पदार्थ डालते हैं।
  • बायोफीडबैक (biofeedback) के साथ पेल्विक फ्लोर (Pelvic floor) व्यायाम – इस व्यायाम से उन मांसपेशियों को मजबूत करते हैं जो मूत्र और मल त्याग के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं। उन्हें “केगेल” (Kegel Exercises) व्यायाम (अभ्यास) भी कहा जाता है। बायोफीडबैक, सेंसर (Sensors) नामक उपकरणों का उपयोग करता है जो, मांसपेशियों की गतिविधियों को मापते हैं। वे आपको बता सकते हैं कि, क्या आप मांसपेशियों का सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं या नहीं।
  • सर्जरी (surgery) – रेक्टल प्रोलैप्स को ठीक करने के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार की सर्जरी का उपयोग भी कर सकते हैं। सर्जरी का प्रकार, आपकी उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यह पेट के माध्यम से (केवल युवा, स्वस्थ लोगों के लिए) या गुदा के माध्यम से (बड़े लोगों या स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए) किया जा सकता है।
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Dr. Harsh J Shah

Exclusive Health Tips and Updates

Dr Harsh Shah - GI & HPB Oncosurgeon in India
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