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इसोफेजियल कैंसर - अन्ननली का कैंसर

अन्ननली का संकुचित होना का इलाज

जब आपके घुटकी, वह ट्यूब जो मुंह को पेट  से जोड़ती है, की संकीर्णता हो जाती है, उसे इसोफेजियल स्ट्रीक्चर कहते हैं। लंबे समय तक “गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज” (जिसे जीईआरडी भी कहा जाता है) (“GastroEsophageal Reflux Disease”, also called GERD) नामक विकार होने वाले लोगों को इसोफेजियल स्ट्रीक्चर हो सकता है। जीईआरडी वाले लोगों में, एसिड पेट से घुटकी में वापस आ जाता है। समय के साथ, यही एसिड अन्नप्रणाली को नुक़सान कर सकता है, और इसे संकुचित कर सकता है।

इसोफेजियल स्ट्रीक्चर के अन्य कारणों में शामिल हैं:

  • भूतकाल में की गयी इसोफेगस में सर्जरी
  • विकिरण उपचार
  • ऐसा कोई भी पदार्थ को निगलना जो घुटकी को हानि पहुँचाता है, जैसे कि घरेलू क्लीनर, लाइ या डिस्क-आकार की कोई बैटरी
  • इसोफेजियल वेरायसिस (घेघा में बढ़े हुए नसों) के लिए उपचार
  • कैंसर
  • एक एलर्जी जिसे “ईओसिनोफिलिक एसोफैजायटिस” (Eosinophilic Esophagitis) कहा जाता है

मुख्य लक्षण निगलने में जब परेशानी हो रही है। डॉक्टर इसे “डिस्फेजीया” कहते हैं। आपको यह भी महसूस हो सकता है कि आपका भोजन या दवाई की गोलियां आपके गले में फंस जा रही हैं। सबसे पहले, आपको केवल ठोस खाद्य पदार्थ खाने पर निगलने में परेशानी हो सकती है। लेकिन जैसे-जैसे हालत खराब होती है, आपको तरल पदार्थ निगलने में भी परेशानी हो सकती है।

यदि आपको एसिड रीफ़्लक्स है, तो आपको निम्न जैसे लक्षण भी हो सकते हैं:

  • सीने में जलन महसूस होना, जिसे हार्टबर्न (heartburn) के रूप में जाना जाता है
  • गले में जलन या मुंह में एसिड का स्वाद होना
  • पेट या सीने में दर्द होना 
  • आवाज में कर्कशता या गले में खराश होना
  • बिना किसी कारण के खांसी होना

हाँ। यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको इसोफेजियल स्ट्रीक्चर हुआ है, तो वह संभवतः इन परीक्षणों में से एक या दोनों करवाने की का आदेश दे सकते हैं:

  • बेरियम स्वोलो यानी के निगलना (Barium Swallow) – इस परीक्षण के लिए आप एक विशेष भोजन खाते हैं जो एक्स-रे पर दिखाई देता है। फिर आपका एक्स-रे लिया जाता है, यह देखने के लिए कि क्या बेरियम आपके घुटकी के नीचे के रास्ते पर अटक जाता है या धीमा हो जाता है।
  • एंडोस्कोपी (Endoscopy) – इस परीक्षण के लिए, डॉक्टर आपके गले में और पेट में एक पतली ट्यूब डालते हैं। यह ट्यूब — जिसे “एंडोस्कोप” (Endoscope) कहा जाता है — के अंत में प्रकाश वाला एक छोटा कैमरा लगाया होता है। यह डॉक्टर को आपके अन्नप्रणाली (आकृति) के अंदर देखने की सहूलियत प्रदान करता है।

इसोफेजियल स्ट्रीक्चर के लिए मुख्य उपचार घुटकी को चौड़ा करने की एक प्रक्रिया है जिसे “एसोफेजियल डायलेशन (यानी के फैलाव)” (esophageal dilation) कहा जाता है। यह आमतौर पर एंडोस्कोपी के दौरान ही किया जाता है।

यदि आप एसोफेजियल डायलेशन करवा रहे हैं, तो आपको विश्रामित करने के लिए दवाएं दी जाएँगी। फिर डॉक्टर निम्न 2 में से 1 तरीके से फैलाव कर सकते हैं:

  • ठोस लचीली नलियों के उपयोग – इस प्रक्रिया के लिए, चिकित्सक आपके गले के नीचे ठोस लचीली नलियों की एक श्रृंखला दालते हैं। यह नली, एक बहुत ही संकीर्ण आकार के साथ शुरू होती है, और फिर बढ़ते व्यापक आकर को दलते हैं, जब तक कि घेघा सही तौर से चौड़ी और खुला नहीं हो जाती है।
  • एक गुब्बारे का उपयोग करना – इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एंडोस्कोप के माध्यम से आपके घुटकी में गुब्बारे लगाया हुई एक ट्यूब दलते हैं। फिर गुब्बारे को अन्नप्रणाली के संकीर्ण हिस्से को फैलाने के लिए फुलाया जाता है।

इसोफेजियल डायलेशन या फैलाव होने वाले ज्यादातर लोगों को, “प्रोटॉन पंप इनहिबिटोर्स यानी के अवरोधक” (Proton Pump Inhibitors – PPI) (जिसे पीपीआई भी कहा जाता है) नामक दवाई लेनी पड़ती है। यह पीपीआई (PPI) पेट को अधिक्तम एसिड बनाने से रोकते हैं, जिस्से एसोफैगस को ठीक करने में मदद करते हैं और स्ट्रीक्चर को वापस आने से रोकते हैं। PPIs में ओमेप्राज़ोल (omeprazole) (ब्रांड नाम: प्रायलोसेक – Prilosec), इसोमप्राज़ोल यानी के esomeprazole (ब्रांड नाम: नेक्षियम Nexium), इयाँसोप्राज़ोल – (lansoprazole) (ब्रांड नाम: प्रेवसिड – Prevacid), पैंटोप्राज़ोल (pantoprazole) (ब्रांड नाम: प्रोक्सीक्स – Protonix) और राबेप्रेज़ोल (ब्रांड नाम: एसीपहेक्ष – AcipHex) शामिल हैं। कुछ PPI बिना प्रिस्क्रिप्शन (डॉक्टर की चिट्ठी) के बेचे जाते हैं।

कुछ लोगों को एक से अधिक फैलाव की आवश्यकता हो सकती है, यदि घुटकी बहुत संकीर्ण है या यदि लक्षण वापस आते हैं। यदि आपको अभी भी अनेक बार फैलाव करवाने के बाद भी इसोफेजियल स्ट्रीक्चर से समस्या है, तो आपके डॉक्टर और भी अन्य उपचार के विकल्प सुझा सकते हैं।

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Dr. Harsh J Shah

Exclusive Health Tips and Updates

Dr Harsh Shah - GI & HPB Oncosurgeon in India
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