अल्सरेटिव कोलाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिस में दस्त, पेट दर्द, और खूनी मल त्याग भी हो सकता है। ये लक्षण इसलिए होते हैं, क्योंकि बड़ी आंत फूल जाती है, और उसमें “अल्सर” नामक घाव हो जाता है। बड़ी आंत पाचन तंत्र का एक हिस्सा है। इसे कोलन (colon) भी कहा जाता है।
लक्षण हल्के या गंभीर भी हो सकते हैं। वे इस्स प्रकार हो सकते हैं:
- दस्त जिसमें अक्सर रक्त होता है
- पेट दर्द होना
- वजन घटना
- थकान महसूस होना
- बुखार होना
- जोड़ों का दर्द होना
- आंखों में जलन होना, या
- त्वचा पर चकत्ते होना
हाँ। डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण कर सकते हैं:
- रक्त परीक्षण
- इमेजिंग परीक्षण – जैसे एक्स-रे (X-rays), सीटी स्कैन (CT scans), या एमआरआई स्कैन (MRI scans)। इमेजिंग परीक्षण में शरीर के अंदर की तस्वीरें बनाते हैं।
- एक परीक्षण जिसे “कोलोनोस्कोपी” (colonoscopy) कहा जाता है – इस परीक्षण में कोलन के अस्तर (पत्ली परत) को देखते हैं। इस परीक्षण के दौरान, डॉक्टर एक पतली ट्यूब को मलाशय (बड़ी आंत के निचले हिस्से) में डालते हैं, और इसे कोलन में ऊपर तक ले जाते हैं। ट्यूब में एक कैमरा अलगाया होता है। इसमें उपकरण भी लगे होते हैं, जिस्से डॉक्टर माइक्रोस्कोप में देखने के लिए, ऊतक के नमूने ले सकें। कभी-कभी डॉक्टर, उसी समय पर, “अपर एंडोस्कोपी” नामक एक परीक्षण भी कर सकते हैं। इस परीक्षण के दौरान, डॉक्टर पाचन तंत्र के ऊपरी भाग का निरीक्षण करते हैं।
यह प्रत्येक बच्चे के लक्षणों, और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। उपचार इस प्रकार के हो सकते हैं:
- दवाएं जो सीधे मलाशय में जाती हैं – डॉक्टर अल्सरेटिव कोलाइटिस वाले बच्चों को ये दवाएं देते हैं जो केवल मलाशय को प्रभावित करते हैं।
- बच्चे मुंह से दवा लेते हैं – एक सामान्य प्रकार जिसको “5-एएसए” (5-ASA) कहा जाता है। (यदि आपके बच्चे को गोलियों को निगलने में परेशानी होती है, तो डॉक्टर आपके बच्चे को तरल दवाइयाँ या पाउडर भी दे सकते हैं, जिसे आप खाद्य या पेय में डाल कर दे सकते हैं।)
- स्टेरॉयड (steroid) दवाएं – यदि अन्य दवाएं काम नहीं करती हैं, तो डॉक्टर सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड दवाएं दे सकते हैं। (ये वह स्टेरॉयड नहीं होती हैं, जैसे कुछ एथलीट अवैध रूप से लेते हैं।) स्टेरॉयड दवाएं आमतौर पर कुछ हफ्तों या महीनों के लिए ही ली जाती हैं।
- गंभीर मामलों के लिए और सख़्त या तीव्र दवाएं – ये दवाएं बृहदान्त्र को नुकसान से बचाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली पर काम करती हैं। सामान्य हैं “6-मर्कैप्टोप्यूरिन (6-mercaptopurine)“, “एज़ैथियोप्रिन (azathioprine)”, और एंटी-ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर (एंटी-टीएनएफ – anti-TNF) दवाएं जैसे “इन्फ्लिक्सिमैब (infliximab)” और “एडालिममाब (adalimumab)”।
गंभीर लक्षणों वाले कुछ बच्चों को अस्पताल में उपचार की आवश्यकता होती है, जब तक कि लक्षण बेहतर न हों।
अल्सरेटिव कोलाइटिस और इसका इलाज करने वाली कुछ दवाएं आपके बच्चे के विकास को कदाचित प्रभावित कर सकती हैं। उपचार के दौरान, डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए अक्सर आपके बच्चे की ऊँचाई और वजन की जाँच करेंगे कि वह सामान्य रूप से बढ़ रहा है या नहीं।
जब दवाएं काम नहीं करती हैं, तो डॉक्टर बृहदान्त्र को हटाने के लिए सर्जरी कर सकते हैं। बृहदान्त्र हटा दिए जाने के बाद, अल्सरेटिव कोलाइटिस वापस नहीं आता है।
जब डॉक्टर बच्चों में अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए सर्जरी करते हैं, तो वे बृहदान्त्र और मलाशय को निकाल सकते हैं। इसके बाद, वे निम्न प्रक्रिया कर सकते हैं:
- आंत के बाकी हिस्सों को तुरंत गुदा से कनेक्ट (जोड़ें) करें। जिन बच्चों की यह सर्जरी होती है, वे सामान्य तरीके से मल त्याग कर सकते हैं।
- आंत को गुदा से जोड़ने के लिए कुछ समयकाल तक प्रतीक्षा करें। यह आंत को ठीक करने में मदद करता है। जिन बच्चों की यह सर्जरी होती है, वे उसके पश्चात सामान्य तरीके से मल त्याग नहीं कर सकते हैं। इसके बजाय, उनके मल त्याग को पेट में एक छेद के माध्यम से बाहर निकलते हैं। एक प्लास्टिक की थैली में यह मल को भरा जाता है।
यदि आपके बच्चे को अल्सरेटिव कोलाइटिस है, तो उसे पेट के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस पाए जाने के लगभग 10 साल बाद कोलन कैंसर होने का खतरा शुरू होता है। उसके बाद, आपके बच्चे को हर 1 या 2 साल में कोलोनोस्कोपी करवानी ही चाहिए। इससे डॉक्टर बृहदान्त्र कैंसर की तलाश कर सकते हैं, और यदि वे इसे पाते हैं तो इसका इलाज तुरंत कर सकते हैं।