पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस 1

पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (जिसे “एफएपी” – FAP – कहा जाता है) एक ऐसी बीमारी है जो बड़ी आंत (जिसे कोलन – colon – भी कहा जाता है), मलाशय, और अन्य क्षेत्रों  में असामान्य वृद्धि का कारण बनती है। डॉक्टर इन वृद्धि को “पॉलीप्स” (polyps) कहते हैं। वे कैंसर नहीं हैं, लेकिन कैंसर में बदल सकते हैं।

एफएपी वाले अधिकांश लोगों में सैकड़ों या हजारों पॉलीप्स होते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें अन्य लोगों की तुलना में पेट के कैंसर होने का बहुत अधिक खतरा है। उपचार के बिना, लगभग सभी लोग जिनको एफएपी है, उन्हें 45 वर्ष की आयु तक कोलन कैंसर होता ही है। कुछ लोगों को एफएपी का थोड़ा मामूली रूप हो सकता है जिसमें कम तादात में पॉलीप्स बनता हैं।

एफएपी वाले लोग को पेट, छोटी आंत, थायरॉयड (Thyroid), अग्न्याशय या मस्तिष्क के कैंसर भी विकसित हो सकते हैं।

एफएपी एक असामान्य जीन के कारण होता है, जो कई पीढ़ियों से परिवारों में चलता रहता है। जिन लोगों को एफएपी होता है, आमतौर पर उनको किशोरावस्था या 20 के दशक में इसके लक्षण दिखाने लगते हैं। किंतु, कुछ लोगों को यह बचपन से ही होता है और इसके लक्षण दिखते हैं।

  • एफएपी (FAP) के कभी भी कोई ख़ास लक्षण नहीं दिख सकते। यदि जब यह होता है, तो निम्न लक्षण हो सकते हैं:

    • मल त्याग में तेज लाल रक्त होना 
    • डायरिया – बहती, पानी वाली मल त्याग होना
    • कब्ज – मल त्याग करने में परेशानी होना
    • पेट में ऐंठन होना
    • वजन घटना 
    • सूजन – पेट जैसा महसूस होना हर समय भरा रहता है
    • थकान मेह्सूस होना

    यदि आपके परिवार में किसी को भी एफएपी है, तो आपको इसकी जांच करने के लिए नियमित परीक्षण करवाना होता है। लक्षणों के मेह्सूस होने से पहले आपके डॉक्टर इसका पता लगा सकते हैं।

हाँ। आपके डॉक्टर एक परीक्षा करेंगे, और आपके किसी भी लक्षण का पता लगाएँगे। आपको निम्नलिखित परीक्षण में से एक या अधिक करवाने को कह सकते हैं:

  • एक परीक्षण (टेस्ट) जिसे “कोलोनोस्कोपी” (colonoscopy) कहा जाता है – इस टेस्ट में, डॉक्टर आपके गुदा के माध्यम से, और आपके बृहदान्त्र (आकृति) में एक छोटे कैमरा वाली ट्यूब डालते हैं। यह परीक्षण के दौरान, वह पॉलीप्स की जांच कर सकते हैं, और परीक्षण के लिए ऊतक के नमूने भी ले सकते हैं। एक अन्य डॉक्टर, माइक्रोस्कोप के तहत, इस ऊतक का निरीक्षण करते हैं। यह ऊतक दिखा सकता है कि क्या आपको एफएपी या कोई और अलग स्थिति है।
  • एक परीक्षण जिसे “सिग्मोइडोस्कोपी” (sigmoidoscopy) कहा जाता है – यह परीक्षण एक कोलोनोस्कोपी के समान है, लेकिन इसमें केवल बृहदान्त्र के अंतिम भाग को देखते हैं, जो मलाशय के करीब होता है ।
  • एक परीक्षण जिसे “अपर एंडोस्कोपी (Upper Endoscopy)” कहा जाता है – यह परीक्षण ऊपरी पाचन तंत्र (आकृति) की जांच करने के लिए एक छोटे कैमरे वाली ट्यूब का उपयोग करते हैं। डॉक्टर इस परीक्षण में ऊतक के नमूने भी ले सकते हैं।
  • जीनेटिक (Genetic) परीक्षण – यह असामान्य जीन (Gene), जो एफएपी का कारण बनता है, उसकी तलाश के लिए एक रक्त परीक्षण (टेस्ट) यानी के ब्लड टेस्ट (Blood Test) है। परीक्षण से पहले, आप एक आनुवंशिक परामर्शदाता (genetic counsellor) के साथ बात करेंगे। यह आनुवांशिक परामर्शदाता, आपको यह समझने में मदद कर सकते हैं कि आपके और आपके परिवार के लिए इस जीन का क्या मतलब हो सकता है।

आपके पास ये सभी परीक्षण अलग- अलग क्रम में या एक से अधिक बार करवाने को कह सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके परिवार में किसी को एफएपी है, तो ‘क्या आपको भी एफएपी का असामान्य जीन है?’ यह देखने के लिए आनुवंशिक परीक्षण करवा सकते हैं। या आपके पॉलीप्स देखने के लिए एक कोलोनोस्कोपी करवानी होती है। यदि किसी वक़्त आनुवांशिक परीक्षण से पता चलता है कि आपको एफएपी है, तो आपको कोलोनोस्कोपी या “लचीला सिग्मोइडोस्कोपी”, और “अपर एंडोस्कोपी” करवानी हो सकती है। यह परीक्षण आपके डॉक्टर को दिखा सकते हैं कि आपको कितने पॉलीप्स हैं, और वे कहां हैं।

यदि आपको एफएपी है, तो आपके डॉक्टर अन्य प्रकार के कैंसर, जैसे कि थायरॉयड कैंसर, की जांच करने के लिए निरीक्षण या परीक्षण कर सकते हैं।

  • उपचार आपकी स्थिति पर निर्भर करता है। निम्न उपचार उपलब्ध होते हैं:

    • बृहदान्त्र को निकालने के लिए सर्जरी – इसे “कोलेकटोमी” (Colectomy) कहा जाता है। यह एफएपी के लिए मुख्य उपचार है। पॉलीप्स वाली ऊतक को काटके बाहर निकालने से कैंसर का खतरा कम होता है।
    • पॉलीप को हटाना – कुछ लोगों को एफएपी का एक मामूली स्वरूप होता है जिसमें कम पॉलीप्स का बनते हैं। कभी-कभी, डॉक्टर कोलेक्टोमी करने के बजाय कोलोनोस्कोपी या एंडोस्कोपी के दौरान पॉलीप्स को निकाल कर हटा सकते हैं।

    आपके डॉक्टर आपकी परीस्थिति में सबसे अधिक असरदार उपचार, जिससे कैंसर को रोक सकते हैं, वही बताएँगे।

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Dr. Harsh J Shah